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मन में उपजी इक्क्षाओं का भार है संसार

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भावना ही भावना का संसार है संसार
मन में उपजी इक्क्षाओं का भार है संसार

अपने मन की कहता हर कोई सुनना चाहता
पर स्वयं से बात करने का ही सार है संसार

जीवन का हर लम्हा अनमोल सी सीख लिए
आदमी खिलौना है और कुम्हार है संसार

व्यर्थ हो जाता है वक़्त निरर्थक बहस से
वक़्त को अमूल्य समझें तो बहार है संसार

नज़रिया ऐसा हो की कमी नहीं खूबी देखें
हर तरफ प्रेरणा देखने का त्यौहार है संसार

अनित्य है संसार नित्य है मगर आत्मा
आत्मा परमात्मा के इलावा बेकार है संसार

जीवन की नाव की पतवार निश्चिन्तता है
सुख-दुःख से हमेशा ही पार है संसार

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