Kavita
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ख्वाब में बदलना था ख्वाब में बदल गए
शबनम के कतरे आफताब में बदल गए
गैर मान अपने से किनारा कर तो लिया
तनहा हुए वो कभी,सैलाब में बदल गए
छोड़ दो रखनी सबसे उम्मीदों की हसरत
पाओगे सवाल सारे जवाब में बदल गए
आदमियत खो रही आदमियत कह रही
दरिंदगी के नगमे आदाब में बदल गए
अपनेपन से मिलता है जब कोई गैर से
पाता है काटें सारे गुलाब में बदल गए
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