- 65 Posts
- 43 Comments
उड़ चुके परिंदे की राह तलाशी नहीं जाती
ज़बरन दिल को ग़म की सौगात दी नहीं जाती
मुसाफिर है हर शख्स हर वक़्त कहता है वक़्त
मुसाफिर को लेके अपनी मंजिल से भटकना है ग़लत
वक़्त की शाख पर नए फूल खिलने देने चाहिए
टूटे हुए पत्ते को टूटना था उसे लेके नहीं रोना चाहिए
रात की गहराइयाँ हों या सुबह की किरणों की अंगड़ाइयां
तन्हा होने के लिए किसी के पास नहीं होती तन्हाईयाँ
फिर जी को उदास कर या दिल को पीड़ा पहुंचा कर क्या मिलना
टूटे खिलौने को लेके बच्चा भी जानता आखिर कब तक रोना
फिर दिल की खुशियों के फूल की महक चेहरे पर आने से क्या रोकना
हृदयंगम क्यूँ न करे उजाले को अंधेरों से क्यूँ और क्या घिरना
सोचना की ख्यालों को ख्याल क्या दिए जाने चाहिए
ख्वाब में ही नहीं इन्हें हकीक़त में उड़ा देने चाहिए
तब जाके पूर्ण स्वतंत्रता के छितिज पर ये आभास होता है
कि इंसान के सबसे ज्यादा वो खुद पास होता और हो सकता है
खुद में शक्ति पहचान खुद को आगे बढ़ाना ज़िन्दगी है
ज़िन्दगी में खुशदिली से आगे बढ़ने वालों से खुश होती ज़िन्दगी है
दोस्ती प्यार मोहब्बत के इलावा भी बहुत कुछ रखती है ज़िन्दगी
इंसान के खुद के साथ रिश्ते की ज़िन्दगी भी होती है ज़िन्दगी
हमेशा ही उजालों की बात करने वाला कभी अँधेरे से नहीं घिरता
ज़िन्दगी को हमेशा एक सवेरा मानने पर हर पल चमका करता
Read Comments